VISUAL ARTS, POETRY, COMMUNITY ARTS, MEDIA & ADVERTISING
"My art is my search for the moments beyond the ones of self knowledge. It is the rhythmic fantasy; a restless streak which looks for its own fulfillment! A stillness that moves within! An intense search for my origin and ultimate identity". - Meena
Showing posts with label Curatorial Work. Show all posts
Showing posts with label Curatorial Work. Show all posts
Meena is Reading Poetry and also organizing an art exhibition on 3rd October during International Hindi Festival in Mississauga, Canada
2009 09 25 3Oct Flyer[1] कुछ निशान वक्त के झील से झांकते आसमान की गहराई में बादलों को चूमती पहाड़ों की परछाईयां और घने पेड़ों के बीच फड़फड़ाते अतीत के चेहरे झरनो के झरझराते मुख से झरते मधुर गीत संगीत हवाओं पर बिखरी गेंदे के फूलों की सुनहरी खुशबू दूर कहीं सजदों में झुकी घंटियों की गूंज बांसुरी की धुन में लिपट कर चोटियों से धीमे—धीमे उतरती मीठी धूप। पानी में डुबकियां लगाती कुछ मचलती किरणे और उन पर छ्पक—छपक चप्पूओं से सांसे लेती ज़िन्दगी की चलती नौका रात की झिलमिलाहटों में तैरती चुप्पियों की लहरें किनारों से टकराकर लौटती जुगनुओं की वो चमक। उम्मीदों की ठण्डी सड़क पर हवाओं से बातें करती किसी राह्गीर के सपनों की तेज़ दौड़ती टापें पगडंडियों को समेटे कदमो में अपने पहूंची हैं वहां तक—जहां मंज़िलों के मुकाम अक्सों में थम गये हैं झील की गहराई में उतरकर नींद को थपथपाते हुए उठती सुबह की अंगड़ाई में रम गये हैं। - मीना चोपडा *यह कविता मेरे बचपन और जन्मस्थल नैनीताल से प्रेरित है।