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कविता पाठ - मीना चोपड़ा Thank you 'Ministry Of Culture India' for profiling my #hindipoetry मेरी कविताओं को अपने मंच पर स्थान देने के लिए मैं भारतीय मिनस्ट्री ऑफ़ कल्चर का तहे दिल से धन्यवाद करती हूँ #हिंदीकाव्य #IndiaLiterature
मीना चोपड़ा (लेखक, कलाकार ) मीना चोपड़ा एक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लेखन और कलाकारिता के लिए सम्मानित एवं पुरस्कृत,लेखक,कवि और दृश्य कलाकार हैं,जिनके पास शब्द,रंग और रूप से समृद्ध एक अपरिहार्य और असीम काल्पनिक संसार है,जो उनके लेखन एवं चित्रकला में जीवंत होकर उभरता है । उत्तर भारत के नैनताल शहर में जन्मी और पली-बढ़ी मीना,अब कनाडा के Toronto शहर में निवासित हैं।
उनके तीन काव्य संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं|इसके अतिरिक्त उन्होंने कनाडा में बसे हिंदी और उर्दू लेखकों के एक पद्य संग्रह का सह-सम्पादन भी किया है। वह अपनी मूल भाषा हिंदी और अंग्रेजी दोनों में कविता और लेख लिखती है। उनकी कविताएं साहित्यिक पत्र -पत्रिकाओं में छपती रही हैं जिसमे सरिता,गगनांचल,हिंदी टाइम्स ,हिंदी चेतना,अनुभूति,शब्दांकन इत्यादि और भी कई नाम शामिल हैं। उनकी कवताएँ जर्मन और उर्दू में भी अनुदित है| वह अपने महत्वपूर्ण योगदान के लिए कई सम्मान प्राप्त कर चुकी हैं। हाल ही में उन्हें 'नेशनल एथेनिक प्रेस एंड मीडिया काउंसिल ऑफ कनाडा' द्वारा साहित्य (हिंदी व अंग्रेजी दोनों)और कला में विशिष्ट कार्य के लिए सम्मानित किया गया है। उन्हें 2017 में कनाडा के 150 वर्षों के जश्न में 'विजुअल आर्ट्स मिसिसॉगा' से उनकी पेंटिंग के लिए प्रथम पुरस्कार मिला। वह कनाडा के मार्टी अवार्ड्स 2019 के लिए फाइनलिस्ट रही हैं। इसके अतिरिक्त हिंदी लेखन के लिए इन्हे हिंदी की अनेक प्रमुख संस्थाओं द्वारा इन्हे सम्मानित किया जा चूका हैं जिसमें 'विश्व हिंदी संस्थान' अखिल विश्व हिंदी समिति, ग्लोबल हिंदी शोध संस्थान, गुरुग्राम विश्व विद्यालय इत्यादि कई नाम शामिल हैं| विश्व हिंदी पत्रकार एवं साहित्य समिति द्वारा इन्हें " महादेवी वर्मा विश्व हिंदी सम्मान" से सम्मानित किया गया है।
ये कनाडा में स्थित कई कला, सांस्कृतिक एवं हिंदी भाषा के प्रचार की संस्थओं के निदेशक मंडलों पर महत्वपूर्ण पद संभालती रही हैं। चित्रकला में भी इन्हे कई पुरस्कार मिल चुके है| वह कनाडा में स्टारबज नमक साप्ताहिक पत्रिका की प्रकाशक और शहनाई नामक रेडियो प्रोग्राम की रेडियो होस्ट भी रह चुकी हैं,साथ ही'लरना'नामक एजुकेशन सेंटर की निदेशक और संचालक भी रही हैं|आजकल वह कविता लेखन और चित्रकला की कार्यशालाएं देने में व्यस्त हैं,साथ ही वह नियमित रूप से 'स्पेशल नीड'वद्यार्थियों को कला शिक्षा देने में भी कार्यरत हैं|वह अपना अगला हिंदी कविता संकलन तैयार करने में भी कार्यरत हैं जो इस साल के मद्य तक तैयार होगा| उनका मानना है कि 'कला का साझा मंच' विभिन्न समुदायों और उनकी विभिन्नताओं को क़रीब लाकर समझने का सबसे अच्छा तरीका है और वह ऐसे कई बेहतरीन और सफल आयोजन कर चुकी हैं। वेबसाइट : www.meenachopra-artist.com कविताएँ: http://prajwalitkaun.blogspot.ca अ... की कविताएँ :http://ignitedlines.blogspot.ca/ Twitter: @meenachopraTwitter: @meenachopra Facebook: @meena.chopra.art , Instagram: @meena_artist_author
Plese visit my Hindi poetry blog here....... प्रज्ज्वलित हैं वक़्त से गिरते पलों की कुछ सुर्ख परछाइयाँ ....
Posted by Meena Chopra - Artist & Poet on Friday, August 28, 2015
टेढ़े और तिरछे रास्तों पर चलती लकीरें नये, पुराने आयामों से निकल उन्हीं में ढलती ये लकीरें परिधि के किसी कोने में अटक बिन्दु को अपने तलाशती भटकती रहीं। भटकती रहीं। फिर देखा गोल सा सूरज टूट चुका था। ज़हन में भर चुके थे टुकड़े। चापों में बट चुकी थी रोशनी चप्पा चप्पा। वक़्त में जमी और रुकी ये चापें आज खड़ी हैं रूबरू मेरे सिर्फ़ पत्थर ही पत्थर दिखाई देते हैं। आँखें चुभती हैं जिस्म के हर कोने में। दबी दबी थर्राई हुई इंतज़ार में तो बस एक ही कि कब इन चापों में बँधी रोशनी पिघले? लावा बनकर ज़िंदगी के चक्के में कुछ ऐसी घूमे — बस घूमती ही चली जाए। -मीना चोपड़ा |