VISUAL ARTS, POETRY, COMMUNITY ARTS, MEDIA & ADVERTISING
"My art is my search for the moments beyond the ones of self knowledge. It is the rhythmic fantasy; a restless streak which looks for its own fulfillment! A stillness that moves within! An intense search for my origin and ultimate identity". - Meena
Monday, 12 October 2009
prajwalit kaun - प्रज्वलित कौन?
देह मेरी
कोरी मिट्टी!
धरा से उभरी,
तुम्हारे हाथों में
तुम्हारे हाथों तक
जीवन धारा से
सिंचित हुई यह मिट्टी।
अधरों और अँधेरों की
उँगलियों में गुँथती
एक दिये में ढलती मिट्टी,
जिसमें एक टिमटिमाती रौशनी
को रक्खा मैंने
और आँखों से लगाकर
अर्श की ऊँचाइयों को पूजा
एक अदृश्य और उद्दीप्त अर्चना में।
कच्ची मिट्टी का दिया है
और कंपकपाती हथेलियाँ
मेरा भय!
मेरी आराधना और
तुम्हारी उदासीनता
के बीच की स्पर्धा में
दीपक का गिरना
चिटखना और टूट जाना,
रौशनी का थक के बुझना
बुझ के लौट जाना —
मेरी इबादत का अन्त
क्या यूँही टूटना, बिखरना
और मिट जाना है?
तो फिर प्रज्वलित कौन?
-Meena hopra
Deh meri
Kori mitti
Dhara se ubhari
Tumhare haathon se
Tumhare haathon tak
Jeevan dhaara se
sinchit hui ye mitti.
Adhoron(honth) aur andheron ki
Ungaliyon me gunthti
Ek diye me dhalti mitti
Jisme ek timtimaati roshani
ko rakhkha maine
Aur aankhon se lagakar
Arsh ki unchhiyon ko puja
Ek adrishya (unseen)aur udeept archana me
Kachchi mitti ka diya hai
Aur kankanpati hatheliyan
Mera bhay!
Meri aradhna aur
Tumahari udasinata
ke beech ki spardha me
Deepak girna
Bikhrna aur toot jaana
Roshani ka thak ke bujhana
aur bujh ke lot jana -
Meri ibaadat ka ant
Kya yuhin tootana bikharana
Aur mit jaana hai?
To fir prajwalit kaun.
-Meena Chopra
Drawing by Meena Chopra
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5 comments:
bahoot khub likha hai meena ji. kabhi avsar milega humen bhi apse kuch ghyan aur vidya prapat karnae ka. Bahoot Khoob likha
ghabriye nahin.
मधुर मधुर मेरे दीपक जल,
युग युग प्रतिदिन प्रतिपल प्रतिक्षण.
सीमा ही लघुता का बंधन,है अनादि तू मत घडियां गिन.
तम के अणु अणु में विद्युत सा,
अमित चित्र अंकित करता चल.
सरल सरल मेरे दीपक जल,
प्रियतम का पथ आलोकित कर.
मधुर मधुर मेरे दीपक जल.
एक दिये में ढलती मिट्टी,
जिसमें एक टिमटिमाती रौशनी
को रक्खा मैंने
meena
wah
bahut acha laga aapko padhna
muje khushi hue aapki kavyakshamta v sabd syojan v sunder vishyon ka chunav ..en kavitaoo mein ek saadgui v sarlta hai jo somyata se hi aati hai...badhai
सुन्दर रचना।
हिन्दी में और भी लिखिये। यदि हिन्दी में ही लिखने की सोचें तो अपने चिट्ठे को हिन्दी फीड एग्रगेटर के साथ पंजीकृत करा लें। इनकी सूची यहां है।
कृपया वर्ड वेरीफिकेशन हटा लें। यह न केवल मेरी उम्र के लोगों को तंग करता है पर लोगों को टिप्पणी करने से भी हतोत्साहित करता है। आप चाहें तो इसकी जगह कमेंट मॉडरेशन का विकल्प ले लें।
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