VISUAL ARTS, POETRY, COMMUNITY ARTS, MEDIA & ADVERTISING
"My art is my search for the moments beyond the ones of self knowledge. It is the rhythmic fantasy; a restless streak which looks for its own fulfillment! A stillness that moves within! An intense search for my origin and ultimate identity". - Meena

Meena Chopra - Poetry and Art

Thursday, 22 September 2011

A Death, A Beginning - अरसे से गूँजती आवाज़

Have you ever searched?
Your lost self
unfolding those
ruthless cold nights
inside me ... ?
  Ever dreamt-?
  The blazing honesty of
  my unyielding
  unborn
  unprotected
  vulnerable naked self 
  in your arms,
enslaved in disastrous fantasies,
  tearing me apart
  making me a whole
  grasping a moment
  beyond bondages,
  seizing
  a death,
  a beginning
  an eternal embrace
  unraveling mysteries
  unknown ... ?
Have you ever discovered,
worshipped,
my primeval existence
  within you.
  Recognizing
  loving  the woman in me!

-Meena Chopra

अरसे से गूँजती आवाज़

खोजा है कभी तुमने
अपनी खोई हुई पहचान को
अँधेरी, सियाह, ठंडी रातों की
खुलती हुई परतों के तले
ढकी हुई मेरी कोख की
सुलगती परतों में।

तसव्वुर्र के उस एक एहसास को
क्या महसूस किया है कभी तुमने
जहाँ एक अजन्मी, कोरी आग
की लपटों में लिपटा
मेरा कँपकपाता नाज़ुक सा जिस्म
कई टूटते ख्वाबों में उलझा रहा
तुम्हरी बाहों में
कभी उधेड़ता रहा और कभी बुनता रहा
भटकती साँसो के भटकते हुए सपने।

लम्हों को लम्हों में
तलाशता हुआ
वही एक आज़ाद सा लम्हा
उस मौत के आगा़ज़ को ढूढ़ता रहा
जिसमे का़यनात के आगोश से उतरा हुआ
एक अनजाना सा आगोश तुम्हारा
बाँधता रहा मेरी खुलती हुई परतों के
पल-पल पिघलते अन्तराल को-


पूछ्ती हूँ मैं तुमसे

कभी ढूढ़ी है तुमने
इबादत में झुकी नज़रों में
मेरी बरसों से बिछ्ड़ी हुई वही फ़रियाद
जन्मो से जन्मो तक बहती रही 
मुहोब्बत भरी आँखों की
झुकी पलकों में
झपकती हुई एक पुकार
सदियों से जूझती
सिर्फ़ तुम्हारे लिये
सदियों से बनी
हमेशाँ से वही तुम्हारी
-मैं
एक अरसे से गूँजती आवाज़।

-मीना चोपड़ा 
(अंग्रेजी से हिंदी में भावानुवाद)





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