ज़िन्दगी के शोर से कुछ लम्हे चुरा के
चल पड़ी हूँ उस छोर पे कदम अपने उठा के
जहाँ सूरज डूबता है
जहाँ मैं डूबती हूँ हूँ
रंगों के इस असीम दरिया में
रंग अपने ढूँढती हूँ |
Zindagi ke shor se kuchh lamhe chura ke
chal padi hoon us chhor pe kadam apne uTha ke
jahan sooraj doobata hai
jahan main doobati hoon
rangon ke is aseem dariya mein
rang apne DhooDhtee hoon.
1 comment:
बहुत सुन्दर प्रस्तुति, बधाई.
कृपया मेरे ब्लॉग प् भी पधारने का कष्ट करें.
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