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"My art is my search for the moments beyond the ones of self knowledge. It is the rhythmic fantasy; a restless streak which looks for its own fulfillment! A stillness that moves within! An intense search for my origin and ultimate identity". - Meena

Meena Chopra - Poetry and Art

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Tuesday, 29 August 2023

Nalanda Award for best Hindi Poet goes to multiligual poet and artist Meena Chopra by the "Canadian South Asian Literary Festival 2023"

 

 
Delighted to share that I've been awarded the prestigious NALANDA AWARD for Best Hindi Poet by the "Canadian South Asian Literary Festival 2023"! 
 
As an artist and a poet of both Hindi and English, I've always embraced the beautiful synergy between the languages, between my Indian heritage and Canadian influences. My creative journey has always oscillated between cultures and the realms of art, poetry and literature.
 
I'm truly humbled by this recognition, which reaffirms the power of creative expression in literature, art and cultures to bridge gaps and transcend boundaries. A heartfelt thank you to the organizers and everyone who has supported me on this path. This award is not just mine, but a celebration of the diverse voices that enrich our artistic and literary tapestry. 🙏
 
यह बताते हुए खुशी हो रही है कि मुझे कैनेडियन साउथ एशियन लिटररी फेस्टिवल 2023 द्वारा सर्वश्रेष्ठ हिंदी कवि के लिए प्रतिष्ठित नालंदा पुरस्कार से सम्मानित किया गया है!
 
एक कलाकार और रचनाकार के रूप में, मैंने हमेशा अपने भारतीय और कनाडाई प्रभावों के बीच सुंदर तालमेल को अपनाया है। मेरी रचनात्मक यात्रा संस्कृतियों, भाषाशैलियों, कला और कविता के बीच सदैव ही गतिशील रही है।
मैं वास्तव में हर उस प्रयास का विनम्रता से और हृदय से स्वागत करती हूं जो जीवन के हर एक पहलू की दूरियों को कम करके,असीमित सीमाओं को लांघता हुआ, कलात्मक एवं साहित्यिक अभिव्यक्ति की शक्ति की पुष्टि करता है। 
 
आयोजकों और सभी को जिन्होंने मुझे इस लायक समझा और मेरी रचनात्मक गतिविधियों का समर्थन किया, उनको मेरा हार्दिक धन्यवाद। यह पुरस्कार सिर्फ मेरा नहीं है, बल्कि उन विविध आवाज़ों का उत्सव है जो हमारी रचनात्मक टेपेस्ट्री को समृद्ध करती हैं। 🙏


 

For my poetry kindly Visit: English: http://ignitedlines.blogspot.com Hindi: http://ignitedlines.blogspot.com/ website: http://meenachopra17.wix.com/meena-chopra-artist 

Friday, 4 June 2021

Shyamal Si - A Hindi Poem Video with translation in English will be released shortly on Facebook, YouTube & Vimeo on 19th June

For my poetry kindly Visit: English: http://ignitedlines.blogspot.com Hindi: http://ignitedlines.blogspot.com/ website: http://meenachopra17.wix.com/meena-chopra-artist

Saturday, 29 May 2021

"श्यामल सी" - मीना चोपड़ा | Beautiful Poem | Hindi Kavita | Best Poetry i... Shyal Si

कविता पाठ - मीना चोपड़ा भारतीय मिनस्ट्री ऑफ़ कल्चर 'Ministry Of Culture India'

 

कविता पाठ - मीना चोपड़ा Thank you 'Ministry Of Culture India' for profiling my #hindipoetry मेरी कविताओं को अपने मंच पर स्थान देने के लिए मैं भारतीय मिनस्ट्री ऑफ़ कल्चर का तहे दिल से धन्यवाद करती हूँ #हिंदीकाव्य #IndiaLiterature

मीना चोपड़ा (लेखक, कलाकार ) मीना चोपड़ा एक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लेखन और कलाकारिता के लिए सम्मानित एवं पुरस्कृत,लेखक,कवि और दृश्य कलाकार हैं,जिनके पास शब्द,रंग और रूप से समृद्ध एक अपरिहार्य और असीम काल्पनिक संसार है,जो उनके लेखन एवं चित्रकला में जीवंत होकर उभरता है । उत्तर भारत के नैनताल शहर में जन्मी और पली-बढ़ी मीना,अब कनाडा के Toronto शहर में निवासित हैं। 

उनके तीन काव्य संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं|इसके अतिरिक्त उन्होंने कनाडा में बसे हिंदी और उर्दू लेखकों के एक पद्य संग्रह का सह-सम्पादन भी किया है। वह अपनी मूल भाषा हिंदी और अंग्रेजी दोनों में कविता और लेख लिखती है। उनकी कविताएं साहित्यिक पत्र -पत्रिकाओं में छपती रही हैं जिसमे सरिता,गगनांचल,हिंदी टाइम्स ,हिंदी चेतना,अनुभूति,शब्दांकन इत्यादि और भी कई नाम शामिल हैं। उनकी कवताएँ जर्मन और उर्दू में भी अनुदित है| वह अपने महत्वपूर्ण योगदान के लिए कई सम्मान प्राप्त कर चुकी हैं। हाल ही में उन्हें 'नेशनल एथेनिक प्रेस एंड मीडिया काउंसिल ऑफ कनाडा' द्वारा साहित्य (हिंदी व अंग्रेजी दोनों)और कला में विशिष्ट कार्य के लिए सम्मानित किया गया है। उन्हें 2017 में कनाडा के 150 वर्षों के जश्न में 'विजुअल आर्ट्स मिसिसॉगा' से उनकी पेंटिंग के लिए प्रथम पुरस्कार मिला। वह कनाडा के मार्टी अवार्ड्स 2019 के लिए फाइनलिस्ट रही हैं। इसके अतिरिक्त हिंदी लेखन के लिए इन्हे हिंदी की अनेक प्रमुख संस्थाओं द्वारा इन्हे सम्मानित किया जा चूका हैं जिसमें 'विश्व हिंदी संस्थान' अखिल विश्व हिंदी समिति, ग्लोबल हिंदी शोध संस्थान, गुरुग्राम विश्व विद्यालय इत्यादि कई नाम शामिल हैं| विश्व हिंदी पत्रकार एवं साहित्य समिति द्वारा इन्हें " महादेवी वर्मा विश्व हिंदी सम्मान" से सम्मानित किया गया है। 

 ये कनाडा में स्थित कई कला, सांस्कृतिक एवं हिंदी भाषा के प्रचार की संस्थओं के निदेशक मंडलों पर महत्वपूर्ण पद संभालती रही हैं। चित्रकला में भी इन्हे कई पुरस्कार मिल चुके है| वह कनाडा में स्टारबज नमक साप्ताहिक पत्रिका की प्रकाशक और शहनाई नामक रेडियो प्रोग्राम की रेडियो होस्ट भी रह चुकी हैं,साथ ही'लरना'नामक एजुकेशन सेंटर की निदेशक और संचालक भी रही हैं|आजकल वह कविता लेखन और चित्रकला की कार्यशालाएं देने में व्यस्त हैं,साथ ही वह नियमित रूप से 'स्पेशल नीड'वद्यार्थियों को कला शिक्षा देने में भी कार्यरत हैं|वह अपना अगला हिंदी कविता संकलन तैयार करने में भी कार्यरत हैं जो इस साल के मद्य तक तैयार होगा| उनका मानना है कि 'कला का साझा मंच' विभिन्न समुदायों और उनकी विभिन्नताओं को क़रीब लाकर समझने का सबसे अच्छा तरीका है और वह ऐसे कई बेहतरीन और सफल आयोजन कर चुकी हैं। वेबसाइट : www.meenachopra-artist.com     कविताएँ:  http://prajwalitkaun.blogspot.ca    अ... की कविताएँ :http://ignitedlines.blogspot.ca/       Twitter: @meenachopraTwitter: @meenachopra Facebook: @meena.chopra.art , Instagram: @meena_artist_author

Sunday, 28 August 2016

My Hindi poetry book SUBAH KA SOORAJ AB MERA NAHIN HAI is available on Amozon. You may click the link to find it. अब Amazon पर उपलब्ध No shipping charges http://www.amazon.in/dp/9384419273/ref=cm_sw_r_fa_dp_KHFjxb1JNJQTT




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Saturday, 21 November 2015

Opening of art show and book launch at Art Junction. New Delhi (Pics)


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Friday, 11 October 2013

अमावस को—



Wednesday, 2 October 2013

दुशाला




Sunday, 15 January 2012

युग

फ़ासलों की एक लम्बी सड़क
उम्र भर पहचानों के जंगलों से निकल
ज़मीन की तह से गुज़रती है |

            पसीनों से लथपथ
            पैरों के निशान
            बनते चले जातें हैं 
            हवाओं की सलीब पर 
            चढ़ते चले जाते हैं
गाढ़ते जातें हैं
कोई त्रिशूल या कोई खंडा
या फ़िर,
सूली पर चढ़े उस शख्स के
खून से भीगा चाँद तारे का
अम्बर के गुनाहों में
एक रिसता रिश्ता।
लहराता है,
दिशाओं को थामें
चूमता हवाओं को
बस वही एक अलम-
एक ही परचम!
कई जन्मों के टूटे बिखरे शहर
बस जातें हैं इसमें
साथ लिए कुछ पंख परिंदों के
और पेड़ों से टूटे पत्तों के
चुकते करम!

पतझड़ का आगोश घबरा कर
और भी बड़ा हो जाता है,
जहाँ सदियों की धूल में लिपटे यही पत्ते
सरगोशियों में उड़ा करतें हैं|
धूप की मद्धम किरणें
जड़ देतीं हैं खामोशियाँ
इनके तन पर|
         बांवाली पतझड़,
 झूमती है पहनकर
 मिट्टी की बेपनाह
 तपिश के कई रंग
 उलझकर इन महकते उड़ते रंगों में
 इतराती है,
 बलखाती है
 जैसे नाच उठे
 बेफिक्र, बेपरवाह सा
 कोई मस्त मलंग|

फ़िर थक हार कर
गिर जाती है ज़मीन पर
   इस छल भरे नृत्य की
      झीनी चूनर
     कुछ रंग भरे आलम
       एक पथराई सी सहर|
शीत की वही कड़वी ठण्ड
जिसके आगास का घूँट पीकर
सो चुके थे हम
 तनहा से
तनहाइयों में बंद।
      
एक बार फ़िर
छिटक जाता है कहीं दूर
पिछले चाँद का वही नूर
भर-भर के उडेल देता है कोई
रजातिम, रूपहला अबीर
बर्फीले ठंडे सीनों में भरी
दास्तानों के करीब।
  चमक उठता है
बर्फ पर सोता
    सन्नाटों का बेचाप रूआब
      कौंधते खवाबो की हकीकत
       खनखनाते चेहरों का शबाब
रात की हूर
इस दुशाले को ओढे
निकल पड़ती है
अपलक
सन्नाटों भरी बेनूर दूरियों की
अकेली पगडंडियों पर
सकपकाती,
खंडहरों से गुज़रती है
लांघती है,
बचपन की दहलीज़
टोहती है
किसी सूफियानी सुबह का
बूँद-बूँद पिघलता
साफ़ सुथरा स्वर्णिम सिन्दूर
मांग की सफेदी को भरता
एक चंपई नूर!
और तब,
टिमटिमाते किनारों पर खड़ा
अतीत में दम भरता
परखती आंखों से
वक्त को एक -टक निहारता
अय्यामों में गुम हो जाता है
एक पारदर्शी दॄश्य!
रुक जातें हैं
रुन्धते गलों के सुरों को टटोलते
निष्कंठ शब्दों में फसते हलंत !
लेकिन
इस मौन होती हुई कायनात से
छलकते छंदों के बीच
कौन बैठा था बिछाए पलकें?
ढूँढ रहा है अब भी -
बहते रहने की इस होड़ में
साँसों के सही हुलिए
कोई ठोस शिनाख्त
नियमों में बंद नामदार कोई
ध्वजों में अंकित उदाहरण देता
गुमनाम अलमस्त ही सही।

बस वही पलक झपकाता सिलसिला
  अपने नसीब से टूटा
   बस वही टूटी साँसों में
     भटकती सच्चाई
       छोर को छोर से बांधती
        स्वछन्द हर छोर को लांघती
    निरी सच्चाई!
टिमटिमाते किनारों पर बैठा
बस वही,
एक ही सिलसिला

कभी फ़िज़ाओं में बहता
कभी घूमता पगडंडियों पर और
खंडहरों के बीच से गुज़र
झील के किनारों पर ठहरता 
कभी सूलियों पर चढ़ता
कभी हवाओं में
बंद निशानों से गिरता
धुंधले से नसीब के दौर का
बस वही,
एक ही सिलसिला।


-मीना चोपड़ा 




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