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"My art is my search for the moments beyond the ones of self knowledge. It is the rhythmic fantasy; a restless streak which looks for its own fulfillment! A stillness that moves within! An intense search for my origin and ultimate identity". - Meena

Meena Chopra - Poetry and Art

Wednesday 14 April 2010

कुछ निशान वक्त के

झील से झांकते आसमान की गहराई में
बादलों को चूमती पहाड़ों की परछाईयां
और घने पेड़ों के बीच फड़फड़ाते अतीत के चेहरे
झरनो के झरझराते मुख से झरते मधुर गीत संगीत
हवाओं पर बिखरी गेंदे के फूलों की सुनहरी खुशबू
दूर कहीं सजदों में झुकी घंटियों की गूंज
बांसुरी की धुन में लिपट कर चोटियों से
धीमे—धीमे उतरती मीठी धूप।

पानी में डुबकियां लगाती कुछ मचलती किरणे
और उन पर छ्पक—छपक चप्पूओं से सांसे लेती
ज़िन्दगी की चलती नौका
रात की झिलमिलाहटों में तैरती चुप्पियों की लहरें
किनारों से टकराकर लौटती जुगनुओं की वो चमक।

उम्मीदों की ठण्डी सड़क पर हवाओं से बातें करती
किसी राह्गीर के सपनों की तेज़ दौड़ती टापें
पगडंडियों को समेटे कदमो में अपने
पहूंची हैं वहां तक—जहां मंज़िलों के मुकाम
अक्सों में थम गये हैं
झील की गहराई में उतरकर
नींद को थपथपाते हुए
उठती सुबह की अंगड़ाई में रम गये हैं।


*यह कविता मेरे बचपन और
जन्मस्थल नैनीताल से प्रेरित है।
Audio of the above poem.

14 comments:

अमरेन्द्र: said...
This comment has been removed by the author.
अमरेन्द्र: said...

मीना जी,

बहुत सुंदर अभिव्यक्तियां हैं आपकी कवितायें !!
चित्र(पेंटिंग) भी अच्छे लगें - कविता और चित्र (पेंटिंग)एक दूसरे के पूरक भी हैं।

सादर,
अमरेन्द्र
http://amarendrahwg.blogspot.com/

mehek said...

पानी में डुबकियां लगाती कुछ मचलती किरणे
और उन पर छ्पक—छपक चप्पूओं से सांसे लेती
ज़िन्दगी की चलती नौका
रात की झिलमिलाहटों में तैरती चुप्पियों की लहरें
किनारों से टकराकर लौटती जुगनुओं की वो चमक।

bahut sunder bhav

अमिताभ मीत said...

Good one. And the paintings are simply ..... well, too good.

श्यामल सुमन said...

कहा ठीक जो वक्त के मिलते कई निशान।
प्राकृतिक सौन्दर्य का अच्छा किया बखान।।

बहुत खूब मीना जी।

सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com

Unknown said...

itne rang aur itne tevar
zindgi ki samagra anubhootiyon ko ek kaavyachitra me uker kar kamaal kar diya aap ne

aapko haardik badhaai !

Mohd.Swalay said...

Meena Ji ...ultimate....Waakai dil ko chhoo lene wali lines hai ....

Great Thanks ....

Gulshan Sooklall said...

मीना जी.. बहुत अच्छी रचना है...
नैनीताल की चार पाँच यात्राओं ने हमारे दिमाग पर ही इतनी गहरी छाप छोड़ी है की जब भी लिखते है कोई चित्र वहाँ का अवश्य उभर आता है.. आप तो वहीं पली-बढ़ी है.. इसलिए आपकी रचनाएँ नैनीताल में नहाई हुई लगती है..
इतनी अच्छी लगी आपकी रचना कि उसे अपनी आवाज़ में पढ़ने का मन किया और उस को यहाँ करने का दुस्साहस कर रहा हूँ..
मेरी आवाज़ में नैनीताल तो नहीं होगा.. उसकी कसक ही आ गई हो तो मैं क्षमा के योग्य बन जाऊँ...
दुर्भाग्य से वह recording मैं इस comment में संलग्न नहीं कर पाया.. आप कोइ e-mail address दें तो उसपर mail करुंगा..
गुलशन

DILSHAD AHMAD ANSARI said...

aap ki rachna achi hai.

अनिल पाण्डेय said...

बहुत ही शानदार रचनाएं

daanish said...

पानी में डुबकियां लगाती कुछ मचलती किरणे
और उन पर छ्पक—छपक चप्पूओं से सांसे लेती
ज़िन्दगी की चलती नौका....

वाह !
इन अलफ़ाज़ के बाद भला क्या रह जाता है
लिखने को , पढने को , महसूस करने को
काव्य में प्रतीकात्मकता की
बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति .....
आपकी लेखन-क्षमता को सहज ही पाठक-मन तक
पहुंचाती हुई नायाब रचना
अभिवादन .

daanish said...

"सुबह का सूरज
अब मेरा नहीं "
को पढने की ख्वाहिश है
!!!???!!!

Anonymous said...

"पानी में डुबकियां लगाती कुछ मचलती किरणे
और उन पर छ्पक—छपक चप्पूओं से सांसे लेती
ज़िन्दगी की चलती नौका
रात की झिलमिलाहटों में तैरती चुप्पियों की लहरें
किनारों से टकराकर लौटती जुगनुओं की वो चमक।

उम्मीदों की ठण्डी सड़क पर हवाओं से बातें करती
किसी राह्गीर के सपनों की तेज़ दौड़ती टापें
पहूंची हैं वहां तक—जहां मंज़िलों के मुकाम
अक्सों में थम गये हैं"
लाजवाब

Unknown said...

just by sheer chance i stumbled on this poem of yours thru facebook.it really catapulted me to nainital of that time.it was 1 am at night so decided to sleep but couldn,t.so i reconnected to net and wrote this.
its so well written that i am visualising it.its just superb.
jo bhee us samay ke nainital me raha hai woh is kavita ko jindagi ki saason ki tarah yadoo ki lifeline ke roop me istemal kar sakta hai.
deepak

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